Friday, 11 October 2013
Monday, 26 August 2013
Monday, 19 August 2013
Raksha Bandhan 2013
First collection of latest
Raksha Bandhan sms in hindi. We bring you meaningful and touching Raksha
Bandhan hindi sms for your Brother and Sister. Send your wishes to your dear
Sister and Dear Brother on the occasion of Rakhi
Happy Rakhi Hindi SMS Messages
Neend apni bhula kar sulaye humko,
Aansu apne gira ker hasaye sabko,
Dard kabhi na dena us devi ke avtar ko,
Jamana jise kehta hai bhain jisko,
Happy Raksha Bandhan sweet Sis...
Sath pale aur sath bhade hain
Khoob mila bachpan mein pyar
Bhai bhain ka pyar bhadane
Aaya rakhi ka tyohar
Happy Raksha Bandhan Festival
Chawal Ki Khushbu Or Kesar Ka Singar
Bhaal Tilak Or Khusiyo Ki Bauchar
Behno Ka Sath Or Besumar Pyar
MUBARAK Ho Apko Raakhi Ka Tyohar
Aaj Din Bahut Khaas Hai,
Behan KE Liye Kuch Mere Paas Hai,
Uske Sukun Ki Khaatir O Behnaa..
Tera Bhaiya Hamesha Tere Aas-Paas Hai !!
Happy Rakhsha Bandhan
Rang Birange Mausam main Sawan ki Ghata Chai
Khushiyon ki saugat lekar pyari bahina aai
Bhai ke haton main saje rakhi se kalai
Sada Khush & Sukhi rahe Bahin - Bhai
Har Gali Phulo Se Saja Rakhi Hai,
Har Chok Pr Ladkiya Bitha Rakhi Hai,
Jane Kis Gali Se Guzrenge AaP,
Har Ladki K Hath Me Rakhi Thama Rakhi hai…
Har ladki ko aapka inteezar hai
Har ladki aapke liye bekaraar hai
Har ladki ko aapki aarjoo hai
Yeh aapka koi kamaal nahi
Kuch din baad 'Rakhi' ka tyohar hai.
Funny Lovely Friendship Day SMS in Hindi
Rishta hai janmo ka hamara,
Bharose ka aur pyaar bhara,
Chalo, ise bandhe bhaiya,
Rakhi ke atut bandhan mein.
Happy Raksha Bandhan.
Kaamyabi tumhare kadam chume,
Khushiyan tumhare charo aur ho,
Par bhagwan se itni prarthana karne ke liye,
Tum mujhe kuch to commission do!
To my extremely lovable (but kanjoos) brother
Just kidding as always.
Happy Raksha Bandhan....
Bahen chahe sirf pyar dular,
Nahi mangti bade uphaar,
Rishta bane rahe sadiyon tak,
Mile bhai ko khushiyan hazaar,
Happy Raksha Bandhan
papa ni ladki, maa ni 6e jaan,
dil nadan pan kare che badha mate jaan kurban.
bhai ni muskan ne parivar ni shan,
aa che ek dikri ni odkhan,
HAPPY RAKSHABANDHAN..
Wednesday, 14 August 2013
Thursday, 6 June 2013
Wednesday, 10 April 2013
Sunday, 24 March 2013
Friday, 22 February 2013
जीवन में जब सब कुछ एक साथ और जल्दी - जल्दी करने
की इच्छा होती है, सब कुछ तेजी से पा लेने की इच्छा होती है, और हमें लगने लगता है
कि दिन के चौबीस घंटे भी कम पड़ते हैं, उस समय ये बोध कथा, " काँच की बरनी और दो कप चाय "
हमें याद आती है।
दर्शनशास्त्र के एक प्रोफ़ेसर कक्षा में आये
और उन्होंने छात्रों से कहा कि वे आज जीवन का एक महत्वपूर्ण पाठ पढाने वाले हैं
उन्होंने अपने साथ लाई एक काँच की बडी़ बरनी
( जार ) टेबल पर रखा और उसमें टेबल टेनिस की गेंदें डालने लगे और तब तक डालते रहे
जब तक कि उसमें एक भी गेंद समाने की जगह नहीं बची ... उन्होंने छात्रों से पूछा -
क्या बरनी पूरी भर गई? हाँ ... आवाज आई ... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने छोटे - छोटे
कंकर उसमें भरने शुरु किये ... धीरे - धीरे बरनी को हिलाया तो काफ़ी सारे कंकर
उसमें जहाँ जगह खाली थी, समा गये, फ़िर से प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा, क्या अब बरनी
भर गई है, छात्रों ने एकबार फ़िर हाँ कहा ...
अब प्रोफ़ेसर साहब ने रेत की थैली से हौले -
हौले उस बरनी में रेत डालना शुरु किया, वह रेत भी उस जार में जहाँ संभव था बैठ गई,
अब छात्र अपनी नादानी पर हँसे ... फ़िर प्रोफ़ेसर साहब ने पूछा, क्यों अब तो यह
बरनी पूरी भर गई ना? हाँ ... अब तो पूरी भर गई है ... सभी ने एक स्वर में कहा
...
सर ने टेबल के नीचे से चाय के दो कप निकालकर
उस की चाय जार में डाली, चाय भी रेत के बीच स्थित थोडी़ सी जगह में सोख ली गई ...
प्रोफ़ेसर साहब ने गंभीर आवाज में समझाना
शुरु किया –
इस काँच की बरनी को तुम लोग अपना जीवन समझो
...
टेबल टेनिस की गेंदें सबसे महत्वपूर्ण भाग
अर्थात भगवान, परिवार, बच्चे, मित्र, स्वास्थ्य और शौक हैं, छोटे कंकर मतलब
तुम्हारी नौकरी, कार, बडा़ मकान आदि हैं, और रेत का मतलब और भी छोटी - छोटी बेकार
सी बातें, मनमुटाव, झगडे़ है ... अब यदि तुमने काँच की बरनी में सबसे पहले रेत भरी
होती तो टेबल टेनिस की गेंदों और कंकरों के लिये जगह ही नहीं बचती, या कंकर भर
दिये होते तो गेंदें नहीं भर पाते, रेत जरूर आ सकती थी ... ठीक यही बात जीवन
पर लागू होती है ... यदि तुम
छोटी - छोटी बातों के पीछे पडे़ रहोगे और अपनी ऊर्जा उसमें नष्ट करोगे तो तुम्हारे
पास मुख्य बातोंके लिये अधिक समय नहीं रहेगा ...
मन के सुख के लिये क्या जरूरी है ये तुम्हें
तय करना है। बच्चों के साथ खेलो, बगीचे में पानी डालो, सुबह घूमने निकल जाओ, घर के
बेकार सामान को बाहर निकाल फ़ेंको, मेडिकल चेक - अप करवाओ ... टेबल टेनिस गेंदों
की फ़िक्र पहले करो, वही महत्वपूर्ण है ... पहले तय करो कि क्या जरूरी है ... बाकी
सब तो रेत है ... छात्र बडे़ ध्यान से सुन रहे थे ...
अचानक एक ने पूछा, सर लेकिन आपने यह नहीं
बताया कि " चाय के दो कप " क्या हैं?
प्रोफ़ेसर मुस्कुराये, बोले ... मैं सोच ही
रहा था कि अभी तक ये सवाल किसी ने क्यों नहीं किया ... इसका उत्तर यह है
कि, जीवन हमें कितना ही परिपूर्ण और संतुष्ट
लगे, लेकिन अपने खास मित्र के साथ दो कप चाय पीने की जगह हमेशा होनी चाहिये।
( अपने खास मित्रों और निकट के व्यक्तियों
को यह विचार तत्काल बाँट दो ... मैंने भी अभी - अभी यह काम किया है
तुम सब भी जल्दी जल्दी कर लो
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Navratan Singh Mathura
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