ek¡ dh dgkuh
मां सब जानती है,
बच्चे के अंतर्मन को कैसे पहचानती है,
हर अनकही बातों को कैसे समझ जाती है।
क्या मां की ममता की तुलना की जा सकती है,
नहीं, क्योंकि मां की ममता अतुलनीय है।
इसकी तुलना संसार की किसी भी
वस्तु से करना असंभव है।
बच्चे के अंतर्मन को कैसे पहचानती है,
हर अनकही बातों को कैसे समझ जाती है।
क्या मां की ममता की तुलना की जा सकती है,
नहीं, क्योंकि मां की ममता अतुलनीय है।
इसकी तुलना संसार की किसी भी
वस्तु से करना असंभव है।
मां की ममता निष्पक्ष, निर्मल तथा
निस्वार्थ भावना से भरी रहती है।
जिसे बच्चा खुशी-खुशी अपनाता है।
मां ही होती है जिसका एक स्पर्श मात्र से
बच्चा खिल उठता है और मुस्कुराता है।
उसकी सारी तकलीफें कहीं खो जाती हैं।
इसीलिए तो मां... मां होती है,
क्योंकि वह सब जानती है।
निस्वार्थ भावना से भरी रहती है।
जिसे बच्चा खुशी-खुशी अपनाता है।
मां ही होती है जिसका एक स्पर्श मात्र से
बच्चा खिल उठता है और मुस्कुराता है।
उसकी सारी तकलीफें कहीं खो जाती हैं।
इसीलिए तो मां... मां होती है,
क्योंकि वह सब जानती है।
Navratan Singh Mathura
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